दो नैना, एक कहानी
थोडा सा बादल,थोडा सा पानी
और एक कहानी
छोटी सी दो झीलों में वो बहती रहती हैं
कोई सुने या ना सुने कहती रहती हैं
कुछ लिख के और कुछ ज़ुबानी
थोड़ी सी हैं जानी हुयी, थोड़ी सी नयी
जहा रुके आँसू वही पूरी हो गयी
हैं तो नयी फिर भी हैं पुरानी
एक ख़त्म हो तो दूसरी रात आ जाती हैं
होठों पे फिर भूली हुई बात आ जाती हैं
दो नैनों की हैं ये कहानी...
Words have such power to stir our
feelings! And poetry with music always swells up even the most
concealed emotions within us! 'Masoom' = innocent!
Every time, I listen to these lyrics I
am instantly drawn to memories from my childhood. Although, I wasn't even born
when this movie came out, I always felt connected whenever I watched 'Lakdi ki
Kathi' on Rangoli every sunday. Years later, when I first heard 'Tujhse Naraaz
nahi Zindagi' on the radio at my aunt's home, I immediately clambered on the
ground floor verandah and kept listening absolutely transfixed, all teary
eyed. If I get to retain my innocence in this way, I'll always gladly return to
it.
जीने के लिए सोचा ही नहीं, दर्द संभालने होंगे..
मुस्कुराये तो मुस्कुराने के, क़र्ज़ उतारने होंगे..
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