एक सपने सा लगता है वो दिन। पहाड़ों में घूमने का मेरा हमेशा से ही अरमान रहा था। वो ऊँचे देवदार के वृक्ष, पाईन के कोनो को ज़मींन पर पाना और सफ़ेद रंग का हर तरफ दिखना। ऐसे दृश्य देखकर मुझे अक्सर हिंदी फिल्मों के गाने याद आते है। इतना फिल्मों से लगाव नहीं है जितना गानों से है, खासकर वो गानें जो मूलतः कविता के रूप में लिखी गई थी और उसे संगीत का साज चढ़ाकर फिल्मों में पेश किया गया। मेरे पिताजी ने उनके शिमला के वास्तव दौरान की कई सारी Black & White तस्वीरें आज तक सहेज कर रखी है। जब कभी मेरा मन होता है, मैं उन्हें देख लेती हूँ। रंगीन तस्वीरों की भी अलग ही बात होती है। रंग जैसे आज का दौर दिखलाती है, वहीं B&W रंगीन शीशों को पार कर गुजरे जमाने में ले जाती है। मानो हम इतिहास में यात्रा कर रहे हों। मसुरी, देहरादून, अल्मोड़ा - ये सारी जगहें बचपन में किसी जादुई नगरी सी लगती थी। आज भी लगती है, किंतु बचपन में हमारी कल्पनाशक्ति जैसे होती है, जिस निरागस भाव से बच्चें दुनिया निहारते है, वो नज़रिया बड़े होकर लुप्त हो जाता हैं। अपनी मासूमियत को जीवित रखने का हम सब प्रयास तो कर ही सकते है। इस समय,
"Some of the sweetest things in life are through greatest struggling battles"